'जब जजों को सैलरी देने की बात आती है तो सरकारें वित्तीय बाधाओं की बात करती है.' ये टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने की, जो जजों के वेतन मामले की सुनवाई कर रही थी. बेंच ने कहा कि राज्य के पास मुफ्त की रेवड़ियां बांटने के लिए पैसे हैं, लेकिन जजों की सैलरी-पेंशन देने के लिए नहीं. एससी बेंच ने दिल्ली चुनाव में की जा रही घोषणाओं का भी जिक्र किया जहां, 'कोई 2100 तो कोई 2500 रुपये देने की बात कर रहा है.'
भारत की मौजूदा पीढ़ी, नागा साधुओं के इतिहास के बारे में ज्यादा जागरूक नहीं है और इस पर दुनिया के बड़े-बड़े विद्वान भी हैरानी जताते हैं। वो कहते हैं कि जब Harvard जैसे विश्वविद्यालय भी नागा साधुओं पर अध्ययन कर रहे हैं, तब भारत के ज्यादातर लोगों को इनके बारे में पता ही नहीं है
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